प्रनवउ पवनकुमार खल बल पावक ग्यानधन |
जासु ह्रदय आगार बसही राम शर चाप धर ||
अतुलित बलधामम हेम शैलाभदेहम,
दनुज वन कृशानुम ज्ञानिनामग्रगण्याम |
सकल गुणनिधामम वानराणामधीशं,
रघुपति प्रियभक्तं वातजातम नमामि ||
गोष्पदीकृतवारीशम मशकीकृतराक्षसम,
रामायणं महामालारत्नं वंदेहं निलात्मजम |
अंजनानंदनम वीरम जानकीशोकनाशणम,
कपीशमक्षहंतारं वंदे लंकाभयंकरम ||
उल्लंघ्यम सिन्धो: सलिलम सलिलम,
यः शोकवाहिनम जनकात्मजाया |
आदाय तनैव ददाह लंका,
नमामि तम प्रांजलि रान्जनेयं ||
मनोजवम मारुततुल्यवेगम,
जितेन्द्रियं बुद्धिमताम वरिष्ठम |
वात्मजम वानरयूथमुख्यम,
श्रीरामदूतम शरणम प्रप्धये ||
आन्जनेयमती पाटलालनम,
कान्चानाद्रिकमनीयविग्रहम |
पारिजाततरुमूलवासिनम,
भावयामि पावमाननंदनम ||
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनम,
तत्र तत्र कृतमस्तकान्जलिम |
वाश्पवारीपरीपूर्णलोचानाम,
मारुतिम नमत राक्षसांतकम ||