Shree Devnarayan Chalisa – भगवान देवनारायण चालीसा

॥ दोहा ॥

ॐ नमो गणपति गुरू , नमो सरस्वती माया

देव सुयशवर्णन करूँ , कण्ठ विराजोआय ॥
॥चौपाई॥

नमो देव नारायण स्वामी। घट घट के प्रभु अन्तर्यामी॥

जगत उजागर सब गुण। सागर देवनारायण नटवर नागर ॥

जय जय जय भक्तन हितकारी इच्छा पूरण करो हमारी ॥

भोग मोक्ष के दाता देवा। निस दिन करूँ आपकी सेवा ॥

दे सत पंथ कुपंथ निवारो। किरपा कर भव पार उतारो ॥

अधम उधारण नाम तुम्हारा। भक्त मनोरथ पूरण हारा ॥

धर कर संत रूप यदुराया। साडू माता को याचन आया ॥

करत स्नान साडुमाता सुन आई। अपने घर खुद भिक्षा लाई॥

प्रेम विवश ज्यों की त्यों धाई। बिना वस्त्र पहने चली आई ॥

नग्न देख प्रभु संकुचे मन माई। पीठ फेरली जब यदुराई ॥

साडूमाता यो वचन उचारा। तुम हो जगत पिता करतारा ॥

मैं बालक तुम हो पितु माता। नग्न देख प्रभु क्यो शरमाता ॥

सुनत बचन देखा भगवन्ता। बाल बढ़ाय तन ढ़का तुरन्ता ॥

ले भिक्षा यों कहत मुरारी। मांगहु वर इच्छा अनुसारी ॥

जो तुम स्वामी देना चाहो। आप समान पुत्र बक्षाओ ॥

मम समान और कौ भोरी। मैं सुत होहुँ मात हित तोरी ॥

मैं छलने आया था तौही। उलटा छला मात ते मोही ॥

नापा साडुमात को मारण धाया। उसी समय प्रकटे यदुराया ॥

आम्बा निम्बा मरे सिरदारा। जिन्दा करया आप किरतारा ॥

किशना खाती का कोढ़ हटाया। कर दीन्ही कंचन सी काया ॥

प्रकटया जब प्रभु मालासेरी माही। राण नगर सारी थर्राई ॥

मारण विप्र आपको आया। संग आपके भुजंग पाया ॥

दुजा विप्र आया शैताना। बने आप उसी वक्त जवाना ॥

तीजा विप्र आया कर रीसा। वृद्ध रूप धरिया जगदीशा ॥

काल भैरव असुर बड़धारी। वश मे किया आप गिरधारी ॥

मालवा देश माहि गोविन्दा। छोछु भाट को किना जिन्दा ॥

धारा नगरी राजा की बाई। पीपलदे शुभ नाम कहाई ॥

ताके कोढ़ नशाये आपा। अखिंया खोली हरे सन्तापा ॥

भुणा जी को लेने ताई। छोछु भाट को जवान बनाया ॥

भुणा जी को कीना वीरा। टुट पड़या जुड़ा जंजीरा ॥

आप धणी देमाली आया। बीला जी का कोढ़ हटाया ॥

वैधा नाथ की धुणी आया। बहु कोढ़िन का कोढ़ हटायाद ॥

जैतु का सब संकट मेटा। इच्छा पुरी दीन्हा बेटा ॥

लाला था इक जात बलाई। उसकी आप दो देह बनाई ॥

दीनो के रक्षक कहलाओ।म्हारे ताई क्यो शरमाओ ॥

आशा पूरण करो हमारी। अरजी सुणयो बेग मुरारी ॥

मनोकामना पूरण किज्यो। अष्ट सिद्धि नव निधि दीज्यो ॥

कई मोहि मारे ताना।लज्जा तुम राखो भगवाना ॥

हंसी जो मेरी करवासी। उध्द बिड़द आपकी जासी ॥

आप हमारे गुरू पितु माता। आप ही मित्र द्रव धाता ॥

आप कृपा बुद्धि बल पाऊँ। दाता तुम कह जाचन जाऊँ ॥

जय जय जय भुणा जी के भ्राता। कुमति निवारो सुमति दाता॥

दुष्टो को अब बेग खपाओ। धर्म ध्वजा जग में फहराओ ॥

॥दोहा॥

चालिसा यह प्रेम से , जो नित पढ़े प्रभाता ।

मनोकामना पूरसी , श्रीदेमाली नाथ ॥

तन – मन से शनिवार को पाठ करें चालिस ॥

भैरूराम सब मिटे , सुख हो विश्वा बीस ॥

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