Mogal Chalisa – मोगल चालीसा

आई मोगल चालीसा

जगदंबा जगदीशरी, मोगल मोरी मात।
भव भय हरणी अंबिका, समपी तौने जात॥

देवी चारण जात री, जग पुजाती बाइ।
ओखा धर उजवाळवा, मोगल प्रगटी आइ॥

आद भवानी इशरी, प्रगटी जिण दन वार।
भगतां रो मंगळ हुओ, जग मांहि जयकार॥

सोरठ धर सोहामणी, गरवो है गिरनार।
गोरवियाळी मां बसी, मोगल जग आधार॥

अंबर हंदी धाबळी, धर सिंहासन होय।
शीळी निम्बड छांयडी, नित नित मंगळ होय॥

दशो दिशा घण उजळी, दख्खण तुज बडभाग।
मोगल दो दिश मुख कियो, ओखा सोरठ बाग॥

प्हाडा साडातीन री, मोगल मात गिणाय।
जगजणणी जबरी घणी, वेणां साथ जणाय॥

चारण हुंदा बाळ पर, मोगल राखे प्रेम।
समर्यां भेरु आवती, राखर मन मै रहेम॥

चारण कुंवासी दिकरी, मां रो जाणो प्राण।
भीड पड्यां पोकारतां, मोगल तारे व्हाण॥

दीप करे विस्वाश सूं (तौ) मोगल परसन थाय।
होंकारा जो मां करे, आया संकट जाय॥

करम कारण या पापरी, वा त्रिताप री पीड।
होंकारो मोगल करे, (तौ) भांगै सघळी भीड॥

मोगल मछराळी तणां, जो गुण हेत गवाय।
दिन चढता उणरा हुवै, सुख नव निधि सवाय॥

ओढे माथे भेळियो, तारै सतरां व्हाण।
असत भेहा देखतां, खेलावै जग जाण॥

छुटी लट छुटा पटा, छुटा हाथां बाइ।
उदो उदो मुख उच्चरै, भाग्य उघाडै आइ॥

दीन दुःखी मोगल तणां, शरण भावसूं जाय।
खोळे लेती खंतसूं, (मां) भव भव रा दख जाय॥

भावां तरवाडो दियां, हेतां पहरै मात।
प्रसन प्रसन हिरदै हुवै, भवरी टाळत घात॥

जोराळी मोगल जबर, हाकल हाजर थाय।
एळां काम उकेलती, मन चिंता मट जाय॥

संकट पडियां कारमां, मां नुं करो पुकार।
(तौ)मन वेगां वाहर चढै, (मां) झगडा झील्लण हार॥

मोगल जिण दन कोपती, होय काळ रो काळ।
दुष्टां रा दळ भांगती, सतियों री रखवाळ॥

मोगल अवळी उतर्यां, वंश उजड हुय जाय।
मछराळी हिय जो रीझै, बांझीया मेणो जाय॥

श्रध्धा अर विश्वास सूं, जो मोगल कन जाय।
अमी निजर माडी करे, जनम सफल हुय जाय॥

सेवग असहायी बण्यां, हिरदे जद मुंझाय।
मोगलनूं धा नांखतां, पळ मै सब दुःख जाय॥

भावि रा लेखा फरै, मोगल कर जद मेर।
मछराळी खेधै पड्यां, जीवन करती झेर॥

जग सरजै,रक्षण करै, प्रलय करै तुं बाइ।
आद मध्ध अंत नी जडै, ताहरो मोगल आइ॥

अवरी,अमरी,अपसरी, माहेसरी शकत्त।
बीसहथी सिंहेसरी, मोगल हर आपत्त॥

शिर पर सोहत धाबळी, अतलस कापड बाइ।
झीम झबुकै हीर री, मोगल सत री आइ॥

पळो पांदडी मधमधै, सुरमौ आंजण बाइ।
सिंचाई पाको तेल अर, सिंदूर भालां आइ॥

उडत अबीर गुलाल अर, कंकु धुप सदाइ।
डाकल वागत घुघरा, दीपक शोहे आइ॥

हियमंह हीरक हारलो, कर कंकण सोहाय।
कानां झेला कनकरा, नुपूर झंणकै पाय॥

लचपच मां रै लापसी, घी री धारां बाइ।
कुंवासी संग जन जिमै, जय जय मां रो थाइ॥

मोगल रा एक वेणसूं त्रिविध संकट जाय।
वयणां त्रिदख भांगती, वयणै रोग नसाय॥

वयणां पुतर आपती, वयणां कीरत थाय।
वयणां नृप नमावती, वयणां संकट जाय॥

मोगल मछराळी तणां, जो जन गुणला गाय।
ओखा नै गिर भौम मंह, देवां दिल लोभाय॥

चौरासी तुं चारणी, मीती माढां बाइ।
ढांक तणां तुं चौकरी, तांतणिया री आइ॥

चवद चाळा तुं कच्छ री, अर अंजार री आइ।
चौसठ तुझ मंह जोगणी, मच्छु आरे माइ॥

छपन क्रोड चामुंड तुं, पाटण पाधर बाइ।
गोखै तुं गिरनार री, भेळियाळी आइ॥

तुं नवदुरगा रुप मंह, लोवडीयाळी आइ।
नवकोटि मरुदेश री, करणी तुंज कहाइ ॥

गावुं गुण तव नामरां, जपुं तुंहाळो जाप।
आणंद दिल विच उमगै, रहै न जग संताप ॥

मुख तव नाम उचारतां, पुलकित होती काय।
ह्वैतो भाव विभोर हुं, भान देह भुलाय ॥

जग न फरुक्कै पांदडी, तुंज दया विण बाइ।
ताहारी किरपा हुआं, त्रिपीड नासै आइ ॥

आ चालीसा भावसूं, गावत है तव बाळ।
मोगल उपर आवजै, परताप री रखवाळ ॥

॥दोहा:॥

आ चालीसा भावसूं,अर श्रध्धा सूं गाय।
बुरी भाग री पांदडी,रुडी करती माय॥

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