वंदु विनायक विध्नहर, शारद करो सहाय,
आनंदनी ए याचना मोढेश्वरी गुण गवाय.प्रणमुं पाय मातंगी मात,मोढेश्वरी नाम तुज ख्याता
मातंगी वास वाव मही कीधो,आश्रय सर्व मोढोने दीधो
सोल शृंगार सिंहारूढ शोभे,भुज अढार दर्शन मन लोभे
वंदन चरणामृत सुखदाई,आतमना पड शत्रु हणाये
भरतखंड शुभ पश्र्विम भागे,धरमारण्य क्षेत्र तप काजे
साधक रक्षक भट्टारीका कहावे,तपस्वी तप तपवा अही आवे
देव देवी जपतप अहीं जापे,मा भट्टारीका तप रक्षण आपे
तीरथ सरस्वती सुखदाई,पितृ शांति अहीं पींडथी थाये
मोक्ष धाम देहुती माता,आश्रम कपिल शास्त्र विख्याता
मोढेरा शुभ स्थान प्रतापी,मोढेश्वरी चतुर युग व्यापी
सूर्य मंदिर बकुंलार्क अजोडा,विश्वकर्माकृत रविकुंड चौडा
धरमारण्य धरा अति पावन,श्री रामयज्ञे मातंगी सुहावन
महासुद तेरस सुखदाता,प्रगट्यां मातंगीयज्ञे माता
जयजयकार जगत मही थाये,सुमन वरसे देवो जय गाये
सूर्यकुंड सुभग फलदाता,झीले जल मातंगी माता
श्री रामसीता यज्ञ आराधे,सत्यपुरे मातंगी साधे
लक्ष्मीरूप मातंगी माता,पूजन नैवेद सर्व सुखदाता
वडा, लाडु, दुधपाक सुहावे,नैवेद धरे सीता प्रिय भावे
समस्त मोढ तणी कुलमाता,अष्ठसिध्धि नवनिधि फलदाता
महासुद तेरस थाल धराये,मोढ चडती दिन प्रतिदिन थाये
अष्टादश भुज आशिष आपे,स्थान नीज सत्यपुरे स्थापे
सतयुगे सतपुरी कहावे,त्रेतानाम महेरकपुर भावे
द्वापर युग मोहकपुर सोहे,मोढेरा कलयुग मन माहे
धर्मराज शिव तप आराधे,सहस्त्र यर्षे शिव दर्शन साधे
प्रगट्यां शिव शुभ आशिष आपे,स्थान नीज धर्मेश्वर स्थापे
वदे महेश्वर कृपा निधाना,ए विशावनाथ काशी समस्थाना
मात रांदल अश्वनी रूप लीधा,ध्वादश वर्ष कठीन तपकीधां
सूर्यराणी रांदल सुखदायी,उपनामे संज्ञा कहेवाये
तप प्रभाव संज्ञा सुखदाई,पति सूर्यदेवमुख दर्शन थाये
संज्ञाए ज्यां तप आराध्या,सूर्य मंदिर रामे त्यां बांध्या
प्रति सुद तेरस व्रततप थाये,मले मान्युं यम भीती जाये
पूजे कन्या मन कोड पुराये,तपथी विधवाना दु:ख जाये
सेवे सधवा सर्व सुख थाये,त्र्हेम, मद अने कुसंप जाये
नम: मातंगी नाम मुख आवे,भूत पिशाच भय अति दूर जावे
मोढेश्वरी तव पूजन प्रभावे,सत्य दया तप सौच दिल आवे
कष्ट भंजन मातंगी माता,बने सर्व ग्रहो सुखदाता
विद्यार्थी मातंगी जप जापे,वधे विद्या, बुद्धि धन आपे
मातंगी यात्रा अति सुख आपेकर्म बंधन भवभवना कापे
दलपतराम मात गुण गाये,उपनाम आनंद कहेवाये
संवत वीस सुडतालीस मांहे,मातंगी चालीसा आनंद गाये
दोहा:
श्री मोढेश्वरी चालीसा, भावे रोज भणायवधे विद्या, धन, सुसंतति, पदारथ चार पमाय