ऊँचा है भवन ऊँचा मंदिर
ऊँची है शान मैया तेरी
चरणों में झुके बादल भी तेरे
पर्वत पे लगे शैया तेरी..
हे कालरात्री हे कल्याणी
तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं..
तेरी ममता से जो गहरा हो
ऐसा तो सागर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं..
जैसे धारा और नदियां
जैसे फूल और बगिया
मेरे इतना ज़्यादा पास है तू..
जब ना होगा तेरा आँचल
नैना मेरे होंगे जलथल
जाएंगे कहाँ फिर मेरे आंसू..
दुःख दूर हुआ मेरा सारा
अंधियारों में चमका तारा
नाम तेरा जब भी है पुकारा..
सूरज भी यहाँ है चंदा भी
तेरे जैसा उजागर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं..
हे कालरात्री हे कल्याणी
तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं..
तेरे मंदिरों में माई
मैंने जोत क्या जलाई
हो गया मेरे घर में उजाला..
क्या बताऊँ तेरी माया
जब कभी मैं लड़खड़ाया
तूने दस भुजाओं से संभाला..
खिल जाती है सूखी डाली
भर जाती है झोली खाली
तेरी ही मेहर है मेहरा वाली..
ममता से तेरी बढ़के मैया
मेरी तो धरोहर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं..
हे कालरात्री हे कल्याणी
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
माँ.. मेरी माँ..
माँ.. मेरी माँ..
माँ.. मेरी माँ..
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं..