आओ जी आओ भोलेनाथ ओ शिव डमरू वाले
तुम हो दया के सागर भर देना मेरी गागर
पीयेंगे हरी रास आज ओ तुम डमरू वाले
पड़ा हु चोरासी माहि बिसरूंगा तुम को नहीं
भाव से लगा दो नया पर ओ शिव डमरू वाले
मेरा सहयक नहीं मुझको सहरा तेरे
अब तो उबारो भोलेनाथ ओ शिव डमरू वाले
भक्त जनों के सुवामी तारो न अंतजामि
अब तो बचलो भलेनाथ ओ शिव डमरू वाले
तुम हो कशी के वासी दुखियो की कटो फ़ासी
चरणे आयो री राखो लाज ओ शिव डमरू वाले
दरसना दिखावो भोलेनाथ ओ शिव डमरू वाले