माँ विन्ध्येश्वरी की आरती, पूजन पूरी श्रद्धा से करे तो कभी धन की कमी नहीं होती। माता विंध्येश्वरी को भी मां दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। विन्ध्येश्वरी देवी के रूप में मां अपने भक्तों के कष्ट दूर करती हैं। माँ विन्ध्येश्वरी की आरती, पूजन से धन, संपत्ति, पुत्र आदि की प्राप्ति होती है। कर्ज से मुक्ति पाते है।
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेंट चढ़ाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥
सुवा चोली तेरे अंग विराजे, केसर तिलक लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥
नंगे पग मां अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥
उँचे पर्वत बन्यो देवालय, नीचे शहर बसाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥
सतयुग, द्वापर, त्रेता मध्ये, कलियुग राज सवाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥
धूप दीप नैवेद्य आरती, मोहन भोग लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गाया, मनवांछित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, कोई तेरा पार न पाया ॥