सुंधा माता माँ देवी चामुंडा का रूप है। सुंधा माता अपने भक्तो की मनोकामना पूरी करती है माँ की आरती करने से घर मे सुख शांति बनी रहती है।
जय सुन्धा माता, मैया जय सुन्धा माता ।
चामुण्डा अज केश्वरी, सुख संपत्ति दाता ॥
जय सुन्धा माता ॥
सुन्धा परवत बणियो, मन्दिर हद भारी ।
तीन लोक में कीरत, पूजे नर नारी ॥
जय सुन्धा माता ॥
चांचिक देव तिहारो, मंदिर बणवायो ।
सुन्धा परवत जग में, तीरथ कहलायो ॥
जय सुन्धा माता ॥
केसरी – वाहन राजे, चारभुजा धारी ।
लाल चुनरिया चमके, शोभा है न्यारी ॥
जय सुन्धा माता ॥
चण्ड मुण्ड संहारी, चामुण्डा माता ।
तेरे दर्शन से माँ, दुख दारिद्र जाता ।
जय सुन्धा माता ॥
चौसठ योगिनी थारे, नृत्य करे भैरू ।
ढोल नगाड़ा बाजे, और बाजे डमरू ॥
जय सुन्धा माता ॥
झिलमिल मुकुट सुहावे, नासा नथ सोहे ।
कानन कुण्डल भलके, मूरत मन मोवे ॥
जय सुन्धा माता ॥
सुन्धा द्वार तिहारे, दीन दुखी आवे ।
खाली हाथां आवे, झोली भर जावे ॥
जय सुन्धा माता ॥
दुष्ट निकंदनि माता, संतन हितकारी ।
कलयुग में सुन्धा की, महिमा है भारी ॥
जय सुन्धा माता ॥
सुन्धा जी की आरती, जो कोई नर गावे ।
वारा पाप परा जावे, भव सागर तिर जावे ।
दास अशोक सुणावे, भक्त मुक्ति पावे ॥
जय सुन्धा माता ॥