सरयू नदी उत्तर प्रदेश में अयोध्या के पास बहने वाली भारत की प्राचीन नदियों में से एक है। ‘घाघरा’, ‘सरजू’ और ‘शारदा’ इस नदी के अन्य नाम
हैं। रामायण के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है क्योंकि यह श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या से होकर बहती है। राम नगरी अयोध्या में पवित्र पावन माँ सरयू की भव्य आरती का बड़ा अद्भुद दृश्य होता है।
जय जय सरयू माता, मेरी जय सरयू माता ।
जय जय सरयू माता, मेरी जय सरयू माता ॥
राम जन्म भूमि का, राम जन्म भूमि का ।
कण कण तुझे ध्याता, तेरी जय सरयू माता ॥
विष्णु जी जब हर्षाए, ब्रह्मा जी के तप से ।
मैया ब्रह्मा जी के तप से ॥
उनके नेत्रों से प्रगटी, उनके नेत्रों से प्रगटी ।
प्रेम अश्रू बन के, तेरी जय सरयू माता ॥
नैनों से जल बिन्दू, विष्णु जी के गिरे ।
मैया विष्णु के गिरे ॥
मान सरोवर में तब, मान सरोवर में तब ।
ब्रह्मा जी उनको धरें, तेरी जय सरयू माता ॥
ऋषि वशिष्ठ के तप की, ऋषियो ने कथा कही ।
मैया ऋषियो ने कथा कही ॥
तज के सरोवर सरयू, तज के सरोवर सरयू ।
अयोध्या में आके बही, तेरी जय सरयू माता ॥
राम चले निज धाम तो, सरयू में समाएं ।
मैया सरयू में समाएं ॥
राम राज्य की साक्षी, राम राज्य की साक्षी ।
भक्तों को भाएं, तेरी जय सरयू माता ॥
पाप नाशिनी मोक्षदायनी, कही ना जाए गाथा ।
मैया कही ना जाए गाथा ॥
हर जल कण तेरा पावन, हर जल कण तेरा पावन ।
है मुक्ति दाता, तेरी जय सरयू माता ॥
आरती कर के तुम्हारी, प्रण यही दोहराएं ।
मैया प्रण यही दोहराएं ॥
सुन्दर मंदिर राम का, सुन्दर मंदिर राम का ।
अयोध्या में बनाएं, तेरी जय सरयू माता ॥
जय सरयू माता, तेरी जय सरयू माता ।
राम जन्म भूमि का, राम जन्म भूमि का ।
कण कण तुझे ध्याता, तेरी जय सरयू माता ॥