भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। उनका जीवन एक आदर्श व्यक्ति का जीवन था।अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। भगवान परशुराम के जन्म का नाम अनन्तर राम था शिव द्वारा दिया गया शस्त्र परशु धारण करने के कारण परशुराम हो गया। परशुराम भगवान की पूजा आरती करने से मनुष्य अपने दुखों से मुक्त हो जाता है और कठिनाइयों को दूर करने के लिए साहस का संचार होता है।
ओउम जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी।। ओउम जय।।
जमदग्नी सुत नरसिंह, मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया।। ओउम जय।।
कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।। ओउम जय।।
ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी।। ओउम जय।।
मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना।। ओउम जय।।
कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।
कंध चार-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता।। ओउम जय।।
माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।
मेरी बिरत संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे।। ओउम जय।।
अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।
पूर्णेन्दु शिव साखि, सुख सम्पति पावे।। ओउम जय।।