Kuber Ji Ki Aarti – कुबेर जी की आरती


धनतेरस के दिन धन और लाभ की प्राप्ति के लिए कुबेर की पूजा-आरती बहुत ही फलदायी मानी जाती है। धनतेरस की रात को माता लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की भी पूजा-आरती करनी चाहिए। धन की देवी लक्ष्मी ने धन संबंधी कार्यों का लेखा-जोखा भगवान कुबेर को सौंपा है। कुबेर धनों के देवता कहे जाते हैं । कुबेर भगवान की आरती करने से धन संबंधी रूकावट दूर होती है।


ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जै यक्ष कुबेर हरे ।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े ।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…

स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे ।
योगिनी मंगल गावैं, सब जय जय कार करैं ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…

गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे ।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करें ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…

भांति भांति के, व्यंजन बहुत बने ।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…

बल बुद्धि विद्या दाता, हम तेरी शरण पड़े ।
अपने भक्त जनों के, सारे काम संवारे ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…

मुकुट मणी की शोभा, मोतियन हार गले ।
अगर कपूर की बाती, घी की जोत जले ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…

यक्ष कुबेर जी की आरती, जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…

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