जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।भगवान जगन्नाथ की पूजा और आरती का विशेष महत्व है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शालिग्राम की पूजा और आरती का भी विधान है रथ यात्रा में सूर्यास्त से पहले एक बार आरती करें और फिर शाम को आरती करें धूप और कपूर की सुगंध जगन्नाथ को बहुत ही प्रिय हैं।
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी । आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥
मंगलकारी नाथ आपादा हरि । कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी ॥
आरती श्री जगन्नाथ …
अगर कपूर बाती भव से धारी । घर घरन घंटा बाजे बंसुरी ॥
झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी । निरखत मुखारविंद परसोत ॥
आरती श्री जगन्नाथ …
चरनारविन्द आपादा हरि जगन्नाथ स्वामी । के अताको चढे वेद की ध्वनि ॥
जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी । इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी ॥
आरती श्री जगन्नाथ …
मार्कंडेय स्वं गंगा आनंद भरि । सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी ॥
धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी । मंगलकारी नाथ आपादा हरि ॥
आरती श्री जगन्नाथ …
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी । अगर कपूर बाती भव से धारी ॥
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी । आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥
आरती श्री जगन्नाथ …