गोवर्धन महाराज की आरती, पूजा दिवाली के अगले दिन की जाती है। इसे अन्नकूटी के नाम से भी जाना जाता है नवीन अन्न का भोजन बनाकर भगवान को भोग भी लगाया जाता है गोवर्धन की पूजा करने से खेतों में अधिक अन्न उत्पन्न होता है, रोग दूर होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ॥
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ॥
तोपे पान चढ़े, तोपे फूल चढ़े…
तोपे चढ़े दूध की धार ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ॥
श्री गोवर्धन महाराज…
तेरी सात कोस की परिकम्मा…
और चकलेश्वर है विश्राम ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ॥
श्री गोवर्धन महाराज…
तेरे गले में कंठा साज रेहेओ…
ठोड़ी पे हीरा लाल ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ॥
श्री गोवर्धन महाराज…
तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ…
तेरी झांकी बनी विशाल ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ॥
श्री गोवर्धन महाराज…
गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण,
करो भक्त का बेड़ा पार ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ॥
श्री गोवर्धन महाराज…