जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता ।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता ॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो ।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो ॥
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा ।
जिसको जपे सकल संसारा ॥
जय गायत्री वेद की माता ।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता ॥
कमी कोई रहने न पाए ।
कोई भी दुख सहने न पाए ॥
उसकी विरति रहे ठिकाने ।
जो तेरी महिमा को जाने ॥
रुद्राक्ष की माला ले कर ।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर ॥
आलस छोड़ करे गुणगाना ।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना ॥
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम ।
पूर्ण करो सब मेरे काम ॥
भक्त तेरे चरणों का पुजारी ।
रखना लाज मेरी महतारी ॥