भैरव जी की आरती करने से भैरव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त पर कृपा करते हैं। भैरव आरती भगवान भैरव को प्रसन्न करने का महामंत्र है।भैरव कथा और आरती करने से विशेष लाभ मिलता है। शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है।
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ॥ जय भैरव …
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥ जय भैरव …
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥ जय भैरव …
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥ जय भैरव …
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥ जय भैरव …
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥ जय भैरव …
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥ जय भैरव …