बाण माताजी का मंदिर चित्तौड़गढ़ के दुर्ग में स्थित है। बाण माताजी मेवाड़ की सूर्यवंशी गहलोत और सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी है। बाण माताजी को गुजरात में ब्रह्माणी माताजी के रूप में पूजा जाता है। मां की महिमा अतुलनीय है, जो सच्चे मन से मां की सेवा और पूजा करता है, मां उसे मनोवांछित फल देती है। उसकी सभी समस्याओं को दूर भी करती है ,मंदिर में मां की आरती होती है, तब त्रिशूल अपने आप ही हिलने लगते हैं।
ॐ जय बाणेश्वरी माता, हाथ जोड़ हम तेरे द्वार खड़े |
धूप दीप भोग लेकर हम, माँ बाणेश्वरी की भेंट धरे ||
कुलदेवी गुहिल क्षत्रियन की, हो खुश हम पर कृपा करें |
माँ बाणेश्वरी को नमन हमारा, कष्ट हमारे मात दूर करें ||१||
तज पाटण आप मेवाड़ पधारी, धन्य हुए हम सब सूत तेरे |
कुल कल्याण करने को, माँ तुमने ही विविध रूप धरे ||
कृपा वृष्टि करो हम पर माँ, तव कृपा से वंश बेल फरे |
दोष न देख अपना लेना, अच्छे-बुरे पूत हम तव रे ||२||
बुद्धि विधाता तुम कुलमाता, हम सब का उद्धार करे |
तेरे चरणों का लिया आसरा, तेरी कृपा से सब काज सरे ||
बाँह पकड़कर आप उठाओं, हम तेरी शरण आन पड़े |
जब भीड़ पड़े भक्तों पर, तब मात निज हाथ माथ धरे ||३||
माँ बाणेश्वरी की आरती जो गावे, माता उसके घर भण्डार भरे |
दर्शन तांहि जो कोई आवे, माता उसकी मंशा पूर्ण करे ||
कुलदेवी को जो कोई ध्यावे, माँ उसके कुल में वृद्धि करे |
कलि में कष्ट मिटेंगे सारे, माँ की जो जय-जयकार करे ||४||
ॐ जय बाणेश्वरी माता, हाथ जोड़ हम तेरे द्वार खड़े |
धूप दीप भोग लेकर हम, माँ बाणेश्वरी की भेंट धरे ||