Agrasen Maharaja Ji Ki Aarti – अग्रसेन महराज जी की आरती


महाराजा अग्रसेन जी के जन्मदिन अश्विन शुक्ल एकम अर्थात नवरात्रि के प्रथम दिन जयंती के रुप में धुमधाम से मनाया जाता है। जयंती के दिन अग्रसेन जी की विधि-विधान से पुजा-अर्चना कर शोभायात्रा निकाली जाती है। महाराजा अग्रसेन जी की विचारधारा का प्रभाव यह है कि अग्रवाल समाज आज भी शाकाहारी,अहिंसक और धर्मपरायण माना जाता है।


जय श्री अग्र हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे ।
कोटि कोटि नत मस्तक, सादर नमन करें ॥ जय श्री …

आश्विन शुक्ल एकं, नृप वल्लभ जय ।
अग्र वंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे ॥ जय श्री …

केसरिया थ्वज फहरे, छात्र चवंर धारे ।
झांझ, नफीरी नौबत बाजत तब द्वारे ॥ जय श्री …

अग्रोहा राजधानी, इंद्र शरण आये ।
गोत्र अट्ठारह अनुपम, चारण गुंड गाये ॥ जय श्री …

सत्य, अहिंसा पालक, न्याय, नीति, समता ।
ईंट, रूपए की रीति, प्रकट करे ममता ॥ जय श्री …

ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा ।
कुल देवी महामाया, वैश्य करम कीन्हा ॥ जय श्री …

अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाये ।
कहत त्रिलोक विनय से सुख संम्पति पाए ॥ जय श्री …

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