Uncha Parvat Thi Aavo Ne Bheruj – उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी

उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी,
दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो,
रूमझूम रूमझूम करता थे आवो,
नावड़ी म्हारी थे पार उतारजो,
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी…

आओ टाबरिया ऊपर, करुणा बरसावजो,
कृपा करजो थे दादा, मत तरसावजो,
नावड़ी डूबे हैं म्हारी, पार लगावजो,
दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो,
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी…

आधी-व्याधि थे म्हारी, हरजो जग रा देव,
मन री मुरादों पूरी, करजो म्हारा देव,
भुला भटका मैं, शरण मे आयो,
दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो,
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी…

खाली झोली नैन री, भरजो भैरूजी,
भक्तों री आशा पूरी, करजो भैरूजी,
नाकोड़ा दरबार ने, घना याद करे हैं,
दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो,
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी…

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