Paava Garh Su Uttri Kalka – पांवा गढ़ सु उत्तरी कालका

पांवा गढ़ सु उत्तरी कालका, संग भेरू ने लाइ हे,
आगे आगे कालो खेले, पाछे भेरू गोरो हे ओ जी,
पांवा गढ़ सु उत्तरी कालका….

ऐ हे खड़क खांडो खप्पर हाते, हुई विकराल काली हे,
योगी भूत पिचासन नाचे, हे तीन लोक की माई हे ओ जी,
पांवा गढ़ सु उत्तरी कालका….

ऐ हे तीन लोक और चौदह भवन में, माता थारो राज हे,
देवी देवता सरणे आया, शंकर शीश नमाया हे ओ जी,
पांवा गढ़ सु उत्तरी कालका….

ऐ हे ढोल नंगाड़ा नोपत बाज्या, तीनो देव थारे नाच्या हे,
भगता रे बेले आवो ऐ कालका, अब देरी ना लगावो हे ओ जी,
पांवा गढ़ सु उत्तरी कालका….

ऐ हे धरम भगत थारी महिमा गावे, चरना शीश नमावे हे,
जो कोई चरना आवे मात रे, जनम सफल हो जावे हे ओ जी,
पांवा गढ़ सु उत्तरी कालका….

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