श्री हाथ चक्र त्रिशूल बिराजे रे अलक जगाऊ तेरी नगरी में
तो श्री कृष्ण का पाऊं दर्शन आयो सदा शिव गोकुल में
तो रंग महल में खड़ी यशोदा आवाज आई कानों में
थाल भरी मोतीयन कि रे लाइ ले बाबा तेरी झोलन में
तो श्री कृष्ण का पाऊं दर्शन आयो सदा शिव गोकुल में
तो कहे महादेव सुनो यशोदा ये मोती मेरे नहीं काम के
तीन लोक का चांदी रे सोना है मेरी झोली के माय
तो श्री कृष्ण का पाऊं दर्शन आयो सदा शिव गोकुल में
तो कहे यशोदा सुनो महादेव मे बालक ना लाऊं बाहर
कोई नजर लग मेरे लालन को
तो श्री कृष्ण का पाऊं दर्शन आयो सदा शिव गोकुल मे
तो कहे महादेव सुनो यशोदा ये बालक नहीं डरने का
तीन लोग को यही डरावे चार लोक का दाता
तो श्री कृष्ण का पाऊं दर्शन आयो सदा शिव गोकुल में
तो रंग महल मे गई यशोदा वो बालक बाहर लाई
वां शंकर जब शीश नमाया
तो श्री कृष्ण का पाऊं दर्शन आयो सदा शिव गोकुल में