भगवान श्री कृष्ण को हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता माना जाता है। श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करने और आरती करने से भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। श्री कृष्ण के बाल गोपाल रूप को जन्माष्टमी के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। अगर घर में बाल गोपाल की पूजा और आरती की जाए तो घर की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। उनके प्रसन्न होने से व्यक्ति का मन बहुत प्रसन्न रहता है। बाल गोपाल की आरती से मिलता है दोगुना फल।
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥