सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए 16 सोमवार का व्रत होते है। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का पाठ करने से शांति एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। महादेव की पूजा में शिवलिंग पर बेलपत्र सबसे ज्यादा महत्व रखता है। बिल्व पत्र अर्पित करने से शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं।
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥